आशा का नव संचार है ,नारी
हंसी का जन्म तुमसे है ,नारी
फिर तुम पर क्यों विपदा सारी?
तुमसे हंसी का जन्म हुआ ,
तुमसे फैली घर रोशनी,
मन के मंदिर में मूरत बन,
घर संजोकर तुम बढ़ चली,
प्रभु आरती का थाल बन ,
शुभकामना को साथ लेकर,
तुम फूल बनकर सुगंधित हो |
हर स्थिति में उभरी हो,
परिस्थिति में संभली हो ,
तुम तो घर की लक्ष्मी हो,
तुम वरदान हो, सम्मान हो ,
तुम परिवार की पहचान हो ,
तुमको क्यों दुःख सागर मिला?
तुम खुशियों का संसार हो,
तुम प्रेम अगाध, अपार हो,
तुममे बस्ता परिवार है,
तुमसे आशा संचार है,
तुमसे ही घर संसार है ,
तुमपर ही क्यों अत्याचार है?
यह विषम समस्या जीवन की,
इस समस्या का ,क्या सुधार है?
तुमसे हंसी का जन्म हुआ,
तुमसे पहली घर रोशनी|
डॉ० कामाक्षी शर्मा
हिंदी एवं संस्कृत विभाग
टी० जी० टी० अध्यापिका
प्रज्ञान स्कूल, ग्रेटर नॉएडा
kamakshi@pragyanschoolcom
7042485050