एक दृश्य : साक्षी हत्याकांड
दिल्ली महानगर की एक
घटना का है यह दृश्य
दूसरे धर्म का होकर भी
हिंदू सा था क्यों उसका भेष ?
हाथ में वह बाँध कलावा
धारण किया था
रुद्राक्ष की माला
प्रेमी के रूप में
वह दरिंदा साहिल था
निर्मोही की भाँति उसने
चाकू से प्रहार जब
मासूम साक्षी पर किया था
आया न कोई उसे बचाने
वजह उसका क्या था
कौन है दोषी कैसे समझे ?
गुनहगार हम किसको माने
सोलह वर्ष की आयु में
नादान साक्षी ने
समाज की नीतियों से हटकर
इश्क़ का रोग लगाया था
यह वजह हैं या कुछ और
दोस्तों के अश्लील मज़ाक
या लवट्रेंगल
या फिर समाज की निष्ठुरता के कारण
तड़पती साक्षी को
ना कोई सहारा मिला
ना कोई आवाज उठी
आँखों पर पट्टी रख
और बाँध कर वे अपने हाथ
मिट्टी के पुतले से लोग
देखते रहे तमाशा वहाँ
साक्षी हत्याकांड का
और कितने देखने को मिलेंगे
साक्षी जैसे हत्याकांड
होगा कब यह ख़त्म
पूछती है हरएक पत्रकार की कलम
क़ानून करो तुम इसका फैसला
कितने जन्मेंगे ऐसे दरिंदे
कितनी मरेंगी मासूम बेटियाँ
यही पूछती हमारी जनता
हर हत्याकांड के पश्चात
कब मिलेगा इसका उत्तर
और होगा कब
ऐसी घटनाओं का पतन
(निधि कुमारी सिंह)
कलकत्ता
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