आज मुलाकात हुई भोर से-अंकिता गुप्ता

आज मुलाकात हुई भोर से,
उसकी शीतल हवाओं के सुकून से,
जो दे रहीं थीं, पिता जैसा आश्वासन,

आज मुलाकात हुई चिड़ियों के चहचहाट से,
गगन में उड़ते उनके झुंड से,
जो सिखा रहीं थीं, पिता जैसा अनुशासन,

आज मुलाकात हुई खिलखिलाते फूलों से,
उनकी चहुँ ओर महकती सुगंध से,
जो सिखा रहीं थीं, पिता जैसे प्रसन्नचित रहना,

आज मुलाकात हुई उगते हुए सूर्य से,
उसकी तेज, प्रकाशमय किरणों से,
जो सिखा रहीं थीं, पिता जैसे निडर रहना,

आज मुलाकात हुई हरे भरे फल सहित पेड़ों से,
उनकी बहुमूल्य मिठास और ताजगी से,
जो सिखा रहीं थीं, पिता जैसे आत्मसमर्पित रहना,

आज मुलाकात हुई नीले अनंत आसमान से,
उसके ब्रह्माण्ड को जोड़ कर रखने की गरिमा से,
जो सिखा रहीं थीं, पिता जैसे स्वभिमानित रहना,

आज मुलाकात हुई मंदिरों के शंखनाद से,
उनके अमोघ ध्वनि से,
जो सिखा रहीं थीं, पिता जैसे दृढ़ निश्चित रहना,

आज मुलाकात हुई अपरिमित मार्ग से,
उसकी मंजिल तक पहुँचाने की चेष्टा से,
जो सिखा रहीं थीं, पिता जैसे प्रेरित रहना,

आज मुलाक़ात हुई पेड़ पर बैठे पंछियों से,
उनके दाने की खोज के जुझारूपन से,
जो सिखा रहीं थीं, पापा जैसे जीवन में संघर्षित रहना,

आज मुलाकात हुई मेरे गुरूर से,
उनके संयम से, उनके कर्तव्य से,
आज मुलाकात हुई, मेरे पापा से |

अंकिता गुप्ता
गुरुग्राम

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