गुरु
गुरु पूर्णिमा का आया त्योहार,
गुरुओं को बधाई, गुरुवाणी का उद्घाटन।
ये दिन है सब गुरुओं को समर्पित,
जब हम शिष्य बने होते हैं पुर्ण भाव से युक्त होते है।
गुरु की अमरता निभाता हैं ये दिन,
गुरु के चरणों में श्रद्धा और विनम्रता है छिपी।
विद्या के सागर से हमें पिलाते हैं ज्ञान की बुदे,
ज्ञान की धारा से हमें नवीनता मिलाते हैं वह हमे।
गुरु का स्वरूप अद्वैत और अमित है,
विचारों की गंगा जो बहाते हैं वह।
आशीर्वाद से जीवन को दीप्त करते हैं वह,
अंधकार से प्रकाश की ओर लेकर आते हैं वह।
गुरुओं की महिमा अपार है,
ज्ञान के पथ पर वहीं हैं साथी।
हमें शिक्षा और बुद्धि का अहसास देते हैं वह,
उज्जवल भविष्य के लिए अभियांत्रित करते हैं वह।
गुरु का आशीर्वाद अमोघ होता है,
बुराईयों से हमें बचाता है वह।
प्रेरणा का स्रोत हैं, मार्गदर्शक हैं ,
जीवन के संघर्ष में समर्थ हैं ।
गुरु का महत्व अनमोल है,
बोहल गुरु का ज्ञान अनमोल।
डॉक्टर नरेश सिहाग एडवोकेट
अध्यक्ष हिंदी विभाग
टांटिया विश्वविद्यालय श्री गंगानगर राजस्थान