सबसे अच्छा मानव रूप-डॉO मीनू शर्मा

सबसे अच्छा मानव रूप

सबसे अच्छा मानव रूप,
फिर मानव क्यों जाता भूल ?
सुंदर उसको जगत मिला है,
प्रकृति मां का साथ मिला है ,
धरती मां भी साथ खड़ी है,
नैनों में उसके अश्रु झड़ी है,
दृग उसके अश्रु से भरे हैं ,
प्रकृति भी चुपचाप खड़ी है ,
मानव ईश्वरव अनुपम कृति है ,
सदकर्मों में उसकी वृद्धि घटी है,
जीवन में सबसे उत्तम है,
वह संपूर्णजगत में सर्वोत्तम है,
कर्मों से स्वयं को खो रहा है,
वह बीज स्वयं ही बो रहा है ,
दिन -दिन अस्तित्व मिटाता है ,
यह कैसा मानव रूप है?
जो मां को दुःख पहुंचाता हैl
बुद्धि पक्ष उसका प्रबल है,
वह धरती पर सबसे सबल है,
मानव खुद को है ,भूल रहा,
पृथ्वी का आंचल डोल रहा ,
अब भी समय है ,सचेत हो,
बढ़ ,प्रज्ञा को साथ चल,
त्रुटियों को अब सुधार ले,
स्वयं को अब पहचान ले ,
विपदा से स्वयं को निकाल ले|
सबसे अच्छा मानव रूप,
फिर मानव क्यों करता भूल?

डॉO मीनू शर्मा
सहायक प्रोफेसर
श्री माधव कॉलेज ऑफ एजुकेशन एंड टेक्नोलॉजी ,केशव नगर हापुड़
minakshi1984sharma@gmail.com

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *