टूटीं सब दीवारें-प्रो नंदलाल मिश्र

टूटीं सब दीवारें प्रो नंदलाल मिश्र महात्मा गांधी चित्रकूट ग्रामोदय विश्वविद्यालय,चित्रकूट सतना म प्र मानव से बनते मशीन अब राह रहा नहि दूजा। जो इसमें पीछे रह जाए काम न आए पूजा। दुनिया ग्लोबल भई जात है चहुदिश यही है Read More …

तुम! रूपसी, नभ से उतरी-निधि “मानसिंह”

(तुम! रूपसी, नभ से उतरी) उर्वशी का रूप श्रृंगार लिये श्रृद्धा के यौवन से भरी। ऊषा काल की प्रथम बेला में, तुम! रूपसी नभ से उतरी। मुख चमके सूरज के समान काली भौहे, तिरछे नयना, कामदेव के लगते बाण। अधरों Read More …

दया-रजत त्यागी

दया इंसान को इंसान बनाती है दया | इंसान के भाव को व्यक्त करती है दया | दया ना हो इंसान में | तो इंसान का फायदा क्या | हाड़ मास के बने शरीर का | दौलत से ढके इस Read More …

‘ ओ नयन ‘ – सुजाता जी. नायक

‘ ओ नयन ‘ ओ नयन, तुम क्यों ऐसी हो , सदा यों क्यों छलकती रहती हो ll मैंने पाया तुम्हारा कई रूप, मन करता है तुम में जाने को डूब l सबकुछ देखकर भी तुम कभी बनती हो अनजान, Read More …

आदरणीय सिस्टर जी-नीतू बाला

आदरणीय सिस्टर जी मैने देखा है पहली बार, एक प्रिंसीपल में सिस्टर (बहन) का प्यार । एक मंदिर (स्कूल) को विद्या का रूप दिया, जहां बाकी सबने भी अपना रूप लिया। वहा मुझे भी एक पहचान मिली, अनजानी सी जगह Read More …

झूठा नेता झूठी नीति झूठी तेरी शान-डॉ. सुशील कुमार ‘लोहट’

झूठा नेता झूठी नीति झूठी तेरी शान, संकट कै मैं जी रहया दलित मजदूर किसान। 1. बेरोजगारी महंगाई की गरीब झेलरे मार, पढ लिखकै धक्के खावै मिलता कोन्या रोजगार, चुनाव कै मह धावे करकै बदलै आपणी जबान। 2. मिलकै पूंज़ीपतियां Read More …

रिश्ते कंगाल हो रहे है-पिंकी

रिश्ते कंगाल हो रहे है। स्वार्थपरता की अंधता में, इंसान इंसानियत से अंजान हो रहे हैं, उनके अहंकार बेमिसाल हो रहे हैं, दरअसल रिश्ते कंगाल हो रहे हैं। बहन भाइयों में नहीं रहा है वो प्यार, ना ही बड़ों की Read More …

ਚ ਦੇ ਲੜਾਕਿਆਂ ਦੇ ਸਾਡੇ ਆਗੂ

ਚ ਦੇ ਲੜਾਕਿਆਂ ਦੇ ਸਾਡੇ ਆਗੂ, ਦੇਸ਼ ਦੇ ਵਿਕਾਸ ਵਿੱਚ ਮੋਹਰੀ ਆਗੂ। ਉਹ ਸੰਘਰਸ਼ ਦੇ ਰੰਗਾਂ ਵਿੱਚ ਲਪੇਟੇ ਹੋਏ ਹਨ, ਉਹ ਜਨਤਾ ਲਈ ਵਿਚਾਰਾਂ ਦਾ ਰਾਗ ਹੈ। ਹਰ ਮੁਸੀਬਤ ਵਿੱਚ ਇਕੱਠੇ ਖੜੇ, ਉਹ ਦੇਸ਼ ਦੀ ਕਿਸਮਤ ‘ਤੇ ਸਵਾਰ ਹੋ ਕੇ Read More …

स्वप्न -डॉ ललित चन्द्र जोशी ‘योगी’

स्वप्न डॉ ललित चन्द्र जोशी ‘योगी’ स्वप्न हैं ये! परसों मेरी दहलीज के भीतर बरछे और भाले लेकर आदिमानव आ रहे थे और आज मैं विद्यार्थियों को कक्षा में, जर्नलिज्म के एथिक्स समझा रहा था। इसी तरह एक दिन- किसी Read More …

कल शाम को खिड़की के पास खड़ी थी- पढियार उषाबेन नानसिंह

कल शाम को खिड़की के पास खड़ी थी, कि अचानक मेरी नजर। साइकिल लेकर आ रहे, व्यक्ति पर गिरी। मेरी आंखों में खुशी छलक उठी, और मेरी जुबां पर पापा निकल आया। लेकिन जैसे ही उस व्यक्ति की, साइकिल वहां Read More …